- पहला अध्याय: मेधा ऋषि का राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु-केटभ-वध का प्रसंग सुनाना
- दूसरा अध्याय: देवताओंके तेजसे देवीका प्रादर्भाव और महिषासुरको सेना का वध
- तीसरा अध्याय : सेनापतियों सहित महिषासुर का वध
- चौथा अध्याय: इन्द्रादि देवताओंद्वारा देवीकी स्तुति
- पाँचवाँ अध्याय: देवताओंद्वारा देवीकी स्तुति, चण्ड-मुण्डके मुखसे अम्बिकाके रूपको प्रशंसा सुनकर शुम्भका उनके पास दूत भेजना ओर दूतका निराश लोटना
- छठा अध्याय: धूम्रलोचन वध
- सातवाँ अध्याय: चण्ड और मुण्ड का वध
- आठवाँ अध्याय: रक्तबीज-वध
- नवाँ अध्याय: निशुम्भ-वध
- दसवां अध्याय: शुम्भ-वध
- ग्यारहवाँ अध्याय: देवताओं द्वारा देवी की स्तुति तथा देवी द्वारा देवताओं को वरदान
- बारहवाँ अध्याय: देवी-चरित्रों के पाठ का माहात्म्य
- तेरहवाँ अध्याय: सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान